20 फरवरी साल 2008. इस तारीख ने भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक अहम रोल निभाया है, जिसने सब कुछ बदल दिया. खिलाड़ियों की किस्मत भी, क्रिकेट खेलने का तरीका भी और BCCI का बैंक बैलेंस भी. ये तारीख आईपीएल इतिहास के पहले ऑक्शन की तारीख थी, भारत में लोग पहली बार खिलाड़ियों की बोली लगते हुए देख रहे थे, टीवी पर खिलाड़ी बिक रहे थे तब ये अजीब लगा लेकिन आज इस ऑक्शन के आदि हो चुके हैं. सबकी नज़र एमएस धोनी पर थी, जिसकी कप्तानी में टीम इंडिया ने कुछ वक्त पहले ही टी-20 का वर्ल्ड कप जीता और दुनिया को हिला दिया.
जब पहली बार आईपीएल के ऑक्शन की बारी आई तो ललित मोदी और बीसीसीआई के मन में डर था कि आप कैसे सचिन तेंदुलकर और बाकी बड़े खिलाड़ियों की बोली लगाएंगे. क्यूंकि अपने यहां क्रिकेट धर्म है और खिलाड़ी उसके भगवान, तो फिर आप भगवानों की बोली कैसे लगाएंगे. इसका तोड़ ललित मोदी ने निकाला कि कुछ बड़े खिलाड़ियों को ऑक्शन में ही ना भेजा जाए.
इस लिस्ट में 5 नाम जोड़े गए, सचिन तेंदुलकर मुंबई के लिए, सौरव गांगुली कोलकाता के लिए, वीरेंद्र सहवाग दिल्ली के लिए, राहुल द्रविड़ बेंगलुरु के लिए और युवराज सिंह पंजाब के लिए. यानी इन खिलाड़ियों पर बोली नहीं लगाई गई और बाकी खिलाड़ियों को ऑक्शन में भेज दिया गया. सबको मालूम था कि सबसे ज्यादा पैसा जो बरसेगा, वो महेंद्र सिंह धोनी पर ही बरसेगा लेकिन सवाल ये था कि आखिर उन्हें खरीदेगा कौन और दाम कितना होगा.
जब तक आईपीएल का ऑक्शन आया, तब तक एमएस धोनी बड़ा नाम बन चुके थे. उनकी कप्तानी में टी-20 वर्ल्ड कप मिल गया था, नौसिखिया टीम को लेकर जब धोनी ने ये कप जिताया तब इसने 2007 वर्ल्ड कप की हार से जो जख्म लगा था उसपर मलहम लगाने का काम किया. जब मार्की खिलाड़ी चुने गए तब धोनी से भी पूछा गया कि क्या आप किसी टीम के मार्की खिलाड़ी बनेंगे, लेकिन धोनी ने मना कर दिया.
महेंद्र सिंह धोनी ने यहां क्रिकेट वाला नहीं बल्कि बिजनेस वाला दिमाग चलाया, खुद वो एक इंटरव्यू में बता भी चुके हैं. धोनी का कहना था, ‘मुझसे भी कुछ टीमों ने मार्की प्लेयर बनने को कहा था, लेकिन मैंने सोचा कि अगर मैं ऑक्शन में जाता हूं तो एक मिलियन डॉलर तो कहीं नहीं गया, वहीं मार्की प्लेयर बनता हूं तो उस टीम के सबसे महंगे खिलाड़ी से कुछ ज्यादा ही पैसे मिलते इसलिए जिन टीम के पास मार्की प्लेयर नहीं था, वो ऑक्शन में मुझपर बड़ा दांव खेल सकती हैं.’ और जैसा कि धोनी ने कहा था, हुआ भी वैसा ही.

