रोहतक/इंटरनेशनल रेसलर गीता फोगाट रविवार को रोहतक पहुंची। उन्होंने कहा कि एशियन गेम्स में बजरंग पूनिया से काफी उम्मीदें थी, लेकिन मेडल नहीं आने से निराशा हाथ लगी। खेल में हार-जीत चलती रहती है। बजरंग पूनिया को उन्होंने नजदीक से देखा है, वे मानसिक-शारीरिक कई चीजों से गुजरे हैं।
सोशल मीडिया पर बजरंग के खिलाफ गलत फैलाया गया। ट्रायल नहीं हुई का मतलब है कि जिन खिलाड़ी की अच्छी परफॉर्मेंस है या लास्ट गेम में मेडल जीतकर लाए है तो उसके आधार पर खिलाड़ियों को भेजा जाता है। यह भारत ही नहीं विदेशों में भी प्रक्रिया है, फेडरेशन के ये नियम है। अगर कुछ गलत है तो सरकार व फेडरेशन को बदलना चाहिए। इसके लिए बजरंग जिम्मेदार नहीं हैं।
फोगाट ने कहा कि बहुत सारी चीजें होती है। पहले से नियम बने हुए है। जिनको पता नहीं, वे कुछ भी कह सकते हैं। बिना ट्रायल व बिना सिलेक्शन के एशियन गेम्स में कोई भी उठकर चला जाए, ऐसा नहीं है। बजरंग ने कई बार देश का नाम रोशन किया है। उनमें क्षमता थी और वह इस योग्य थे, इसलिए वे एशियन गेम्स में खेलने गए। उनका बैड लक होगा कि खेल में मेडल नहीं आया।
अभिभावक भी खिलाड़ियों पर रखें ध्यान
दरअसल, गीता रोहतक स्थित ऑर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल में तीन दिवसीय खेलकूद प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित करने पहुंची थी। इस दौरान गीता फोगाट मुख्यातिथि के तौर पर पहुंची। उन्होंने विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाया। साथ ही कहा कि आज खेल बहुत जरूरी हो गया है। इसके लिए न केवल खिलाड़ी बल्कि उसके अभिभावकों को भी पूरा सहयोग करना होगा। साथ ही बच्चों को शिक्षा के साथ खेल में आगे बढ़ाएं और उन पर ध्यान भी रखें।

खिलाड़ियों को समय पर मिले सुविधा
गीता फोगाट ने कहा कि सरकार खिलाड़ियों को काफी पैसा देती है। कई खिलाड़ियों के कैश अवॉर्ड भी कई सालों से रुके हुए हैं और उन्हें नहीं मिले हैं। इसमें समय नहीं लगना चाहिए। जब बच्चे को जरूरत होती है तो उस समय सुविधा मिलनी चाहिए। आजकल स्कूलों में जो बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं तो इसका आगे सकारात्मक असर पड़ेगा।
एथलीट नीरज चोपड़ा का उदाहरण देते हुए कहा कि वे विदेशों में अभ्यास करते हैं, वहां वातावरण अच्छा रहता है। इसी तरह खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें माहौल भी अच्छा मिलना चाहिए।
